अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ का 8वां राष्ट्रीय अधिवेशन
बेंगलुरु/चन्नेनहल्ली। शिक्षा दान है और जीवन का प्रकाश है, शिक्षा तपस्या है मगर व्यवसाय नहीं है। शिक्षा नि:स्वार्थ होनी चाहिए, शिक्षा वह नहीं है, जो कहा जाता है बल्कि जो किया जाता है। उक्त विचार बेलिमथा, बेंगलुरु महासंस्थान के श्री एन.पी. शिवानुभव चारमूर्ति महास्वामी ने व्यक्त किए। वे शनिवार को चन्नेनहल्ली स्थित जनसेवा शिक्षा संस्थान में आयोजित अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के 8वें राष्ट्रीय अधिवेशन के दूसरे दिन शिक्षक सम्मान समारोह में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि शिक्षकों के लिए साधु और उपदेशक शब्द प्रयोग करते हुए अगर शिक्षक लगातार अध्ययनशील हैं, तो दुनिया में उसे कौन हरा सकता है, कहा। संगोष्ठी में हमें पारदर्शी आधार पर सीखना और सिखाना चाहिए और ऐसा करने का संकल्प लेना चाहिए। शिक्षा का सम्मान बचाने के लिए देशभर के शिक्षकों को इस मामले को सुलझाने की जरूरत है। समारोह के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकारी मंडल के सदस्य प्रो. अनिरुद्ध देशपांडे ने शिक्षा भूषण पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी और उनकी पृष्ठभूमि की उपलब्धियों के लिए उनकी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यदि शिक्षक ऐसे साधकों के बताए रास्ते पर चलेंगे तो छात्र भी उनके बताए रास्ते पर चलकर समाज में आगे बढ़कर कायर करेंगे। छात्रों को कुशल कार्य के लिए प्रशिक्षित करना चाहिए। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि शिक्षा के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान ने अन्य सभी प्रतिष्ठित शिक्षाविदों और शिक्षकों को बेहतर इंसान बनने और समाज के लिए रोल मॉडल बनने के लिए प्रेरित किया।
एबीआरएसएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. जे.पी. सिंघल ने परिचयात्मक भाषण में कहा कि एबीआरएसएम शिक्षा के क्षेत्र में उपलब्धि हासिल करने वाले शिक्षकों को हर साल शिक्षा भूषण पुरस्कार से सम्मानित करता है।
विशेष अतिथि बीएस येदियुरप्पा ने शिक्षा के क्षेत्र में पुरस्कार विजेताओं द्वारा किए गए कार्यों की प्रशंसा की और कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने वाला कर्नाटक पहला राज्य है।
प्रख्यात शिक्षाविदों को शिक्षा भूषण पुरस्कार
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने बेंगलुरु में आयोजित अपने 8वें राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रख्यात शिक्षाविदों को शिक्षा भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया, प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान और लेखक डॉ चांद किरण सलूजा जिनकी अब तक 48 पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं और शिक्षा के क्षेत्र में प्रमुख योगदान दिया है,अन्य प्रतिष्ठित शिक्षाविद् यूजीसी के सदस्य और संचालन समिति के सदस्य हैं और एम.के श्रीधरन जिन्होंने 30 से अधिक शोध पत्र लिखे हैं और 11 शैक्षिक नीतियों को प्रकाशित किया है, कई राज्य और शैक्षणिक पुरस्कार प्राप्त किए हैं और प्रसिद्ध शिक्षाविद् डॉ. भारती ठाकुर महिला शिक्षा के क्षेत्र उनके उल्लेखनीय काम के लिए नर्मदा नदी के तट पर वंचित छात्रों के लिए विद्यालय मामले में प्राप्त।
इन विशेषज्ञों ने की शिरकत
कार्यक्रम में एबीआरएसएम के राष्ट्रीय संगठन मंत्री महेंद्र कपूर, एबीआरएसएम के सह-संगठन मंत्री जी.लक्ष्मण जी, केसी राममूर्ति, सचिव शिवानंद सिंधंकेरा, विधान परिषद के पूर्व सदस्य व प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष अरुण शहापुरा, के.आर.एम. प्रदेश अध्यक्ष (विश्वविद्यालय) रघु अकमांची के.आर.एम. एस प्रदेश अध्यक्ष (शिक्षक) संदीप बुदिहाला, गणेश कर्णिका, बालकृष्ण भट्ट, वाई नारायणस्वामी जी सहित देश के विभिन्न राज्यों के हजारों शिक्षक उपस्थित थे। कार्यक्रम में अभिनंदन एबीआरएसएम राष्ट्रीय की महिला उपाध्यक्ष ममता डीके सरस्वती ने किया। एबीआरएसएम सह मंत्री डॉ. नारायण लाल गुप्ता ने किया। राष्ट्रीय महामंत्री शिवानंद सिंधनकेरा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।