राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर विशेष व्याख्यान टोहाना (फतेहाबाद)। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक संघ से संबद्ध इंदिरा गांधी राजकीय महाविद्यालय, टोहाना में हाल ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर विशेष व्याख्यान हुआ। इसमें चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय शैक्षिक संघ सिरसा एवं वाणिज्य विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर सुरेंद्र सिंह कुंडू ने विद्यार्थियों को इस नई शिक्षा नीति के बारे में जानकारी दी। उन्होंने
राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) का 59वां प्रांतीय अधिवेशन संपन्न जयपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष और आमेर विधायक डॉ. सतीश पूनिया ने कहा कि आज हमें शिक्षा में भारतीय दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। साथ ही समाज में आज शिक्षक के सम्मान को पुन:स्थापित किया जाना चाहिए। डॉ. सतीश पूनिया जयपुर में आयोजित राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक
The declaration of National Education Policy, coincided with the proclaimation to build Self Reliant India or Atma Nirbhar Bharat1 is slated to bolster alround progress, economic prosperity and comprehensive national security. The vision statement of National Education Policy (NEP) lays explicit emphasis to build a ‘global best education system’ rooted in Indian ethos and transform India into a ‘global knowledge
आत्मनो मोक्षार्थ जगद्धिताय च- अपनी मुक्ति और मानवता की सेवा के लिए 'ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य के दिन लद चुके हैं और अब शूद्र की बारी है, भविष्य पददलितों का है।'
Migration of poor from rural areas to the urban and semi-urban parts of the district and states is a common phenomenon.
किसी भी व्यक्ति का उत्थान या उन्नति तभी संभव होती है, जबकि आर्थिक के साथ-साथ उसकी आत्मिक उन्नति भी हो। ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि किसी राष्ट्र की उन्नति की कसौटी क्या हो सकती है?
वर्तमान समय में जब किसी व्यक्ति को 'गँवार' कहते हैं तो वक्ता का तात्पर्य ग्राम-वासी नहीं, असभ्य, उज्जड़ होता है ।
स्वदेशी दो शब्दों से मिलकर बना है स्व जिसका अर्थ है स्वयं का /निज का। तथा देशी का अर्थ है देशज अर्थात् देश में बनने या निर्मित होने या जन्म लेने वाला/ वाली।
हम 21वीं शताब्दी में जीवन जी रहे हैं। समय की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए हमारी नई पीढ़ी को भावी चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करना होगा।
सामाजिक सरंचना के संदर्भ में व्यक्ति या मनुष्य को उस संरचना की एक इकाई माना जाता है जिसका उस सामाजिक सरंचना में एक निर्धारित स्थान और उसके अनुरूप उसकी एक निर्धारित भूमिका होती है।